पाकिस्तानी सेना ने इमरान ख़ान के समर्थन में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर अमेरिका की शह में की खुलेआम जनसंहारक गोलीबारी
अमेरिकी विदेश नीति, ख़ासकर रूस और चीन के ख़िलाफ़ अमेरिकी-नेटो की जंग की योजनाओं में साथ न देने के लिए इमरान ख़ान जेल में क़ैद हैं।
अमेरिकी विदेश नीति, ख़ासकर रूस और चीन के ख़िलाफ़ अमेरिकी-नेटो की जंग की योजनाओं में साथ न देने के लिए इमरान ख़ान जेल में क़ैद हैं।
बड़े उद्योग परस्त डीएमके सरकार के एजेंट के रूप में काम करते हुए स्टालिनवादियों की अगुवाई वाले सीटू ने ऐसे समय हड़ताल को ख़त्म कराया जब यह तमिलनाडु और पूरे भारत में वर्ग संघर्ष का यह प्रमुख मुद्दा बन रहा था.
तमिलनाडु की डीएमके सरकार और सैमसंग मैनेजमेंट के सामने घुटने टेकते हुए स्टालिनवादी ट्रेड यूनियन फ़ेडरेशन सीटू ने सैमसंग के 1500 वर्करों की हड़ताल को अचानक ही ख़त्म करा दिया।
ओटावा ने नई दिल्ली आरोप लगाए हैं कि भारत सरकार के अधिकारियों और ख़ुफ़िया एजेंटों ने कनाडा की धरती पर धमकी और मर्डर का अभियान चलाने के लिए आपराधिक गिरोहों के साथ मिलकर साज़िश रची। उसने इसके बारे में "बहुत स्पष्ट और विश्वसनीय" जानकारी होने की बात कही। इसके बाद से कनाडा और भारत के बीच राजनयिक रिश्ते पूरी तरह खटाई में पड़ गए हैं।
शुरुआत से ही जूनियर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य क्षेत्र की हालत को लेकर कई गंभीर मुद्दे खड़े किए हैं लेकिन इन्हें सबसे संकीर्ण और प्रतिक्रियावादी क़ानून व्यवस्था की मांगों के पक्ष में लगातार किनारे लगाया गया।
मज़दूरों की बिना किसी मांग के माने और रैंक एंड फ़ाइल से बिना चर्चा के सीटू ने हड़ताल समाप्त कर दी। मज़दूरों की मांग थी कि सीटू से संबद्ध सैमसंग इंडिया वर्कर्स यूनियन को कंपनी और सरकार मान्यता दे।
आबादी की जायज शिकायतों को जिस बर्बरता के साथ इस्लामाबाद कुचने की कोशिश कर रहा है उसने बलोची राष्ट्रवादी ग्रुपों और अलगवादी विद्रोहियों की संख्या में घी का काम किया है और इसकी वजह से हिंसा अपने नए स्तर पर पहुंच गई है।
प्रसन्ना विथानागे कहते हैं कि श्रीलंका में बड़े पैमाने पर हुए सरकार विरोधी प्रदर्शन "हमारे समाज में वास्तविक वर्गीय मतभेदों और अमीरों एवं ग़रीबों के बीच विभाजन का नतीजा था।"
'पैराडाइज़' एक मार्मिक और दिल के तार झकझोरने वाली फ़िल्म है जो श्रीलंका के सामाजिक रिश्तों की बहुत सारी परतें खोलती है और पूरी दुनिया में वर्करों और युवाओं की कहानी बयां करती है।
यह उपन्यास और फ़िल्म केरल से आने वाले एक मलयाली व्यक्ति की ज़िंदगी की वास्तविक कहानी से प्रेरित है, जिसे 1990 के दशक की शुरुआत में सऊदी अरब में बकरी चरवाहे के रूप में ग़ुलाम बना लिया गया था।
चेन्नई के बाहर दूध की एक सरकारी फ़ैक्ट्री के कन्वेयर बेल्ट में फंस कर हुई उमारानी की मौत ने निजी और सरकारी कंपनियों में ख़तरनाक़ काम के हालात को एक फिर से सामने ला दिया है।
साल 2022 में श्रीलंका में और 2024 में बांग्लादेश में जनता की बग़ावत उसी वैश्विक पूंजीवादी संकट से पैदा हुआ, जिससे हर देश प्रभावित है। आगे क्रांतिकारी संघर्ष के लिए तैयारी करने में मज़दूर वर्ग को इससे ज़रूरी राजनीतिक सबक निकलते हैं।
फिर से चुनी गई मोदी की बीजेपी सरकार साम्प्रदायिकता को भड़का रही है, विरोधी नेताओं का उत्पीड़न कर रही है, वॉशिंगटन के चीन के ख़िलाफ़ भड़काऊ सैन्य रणनीति में भारत की साझेदारी को और विस्तारित कर रही है और निवेशक समर्थक मज़दूर विरोधी नीतियों को लागू कर रही है।
यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार एक दक्षिणपंथी पूंजीवादी सरकार होगी, जिसका मल्टीनेशनल गार्मेंट उद्योग के बड़े खिलाड़ियों, अन्य विदेशी निवेशकों और बांग्लादेश के पूंजीपति वर्ग से गहरा याराना है।
सोमवार को टेलीविज़न पर दिए गए राष्ट्र के नाम संबोधन में आर्मी चीफ़ जनरल वाकर-उज़-ज़मान ने घोषणा की कि शेख़ हसीना ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।
क़त्ल के फर्ज़ी आरोपों में जिन 13 भारतीय ऑटोवर्कर्स को आजीवन कारावास की सज़ा दी गई थी उनमें से एक अमरजीत ने कहा, "बोगडान सायोरटुक ने न तो कुछ ग़लत किया और न कुछ ग़लत कहा था।" उन्होंने कहा, "उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मज़दूर वर्ग के लिए संघर्ष किया। उन्होंने मज़दूरों की सत्ता के लिए लड़ाई लड़ी और अभी भी लड़ रहे हैं।"
हमले का कारण जो भी कुछ हो, एक बात निश्चित हैः यह पूरे राजनीतिक सत्तातंत्र को दक्षिणपंथ की ओर तेजी से मोड़ देगा।
मज़दूर, जापान की अंतरराष्ट्रीय ऑटो निर्माता कंपनी, पुलिस, अदालतें और हरियाणा और भारत सरकार की साज़िश का शिकार हैं। उनका एकमात्र 'अपराध' यही है कि उन्होंने भारत के वैश्विक स्तर पर जुड़े ऑटो उद्योग में शॉप फ़्लोर पर आम हो चुके काम के बर्बर हालात को चुनौती दी थी।
मार्च 2020 में मोदी सरकार द्वारा कोविड-19 लॉकडाउन थोपने के बाद भारतीय जनता द्वारा झेली गईं भयानक दुश्वारियों से यह फ़िल्म खोलती है उठाती है।
गुरुवार रात को अमेरिकी राष्ट्रपति जोसेफ़ बाइडन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट अमेरिकी राजनीतिक परम्पराओं के हिसाब से भी पतन, प्रतिक्रिया और मूर्खता का तमाशा था।
सोमवार को जूलियन असांज ब्रिटेन की बेलमार्श जेल से आज़ाद रिहा हो गए। अमेरिका की अगुवाई वाली साम्राज्यवादी सरकारों के अपराधों को उजागर करने के लिए, उनके द्वारा रची गई साज़िश के कारण असांज को पांच साल जेल में गुज़ारना पड़ा और 15 साल उत्पीड़न झेलना पड़ा।
"रूस के लिए काम करने के फर्जी आरोपों में बोगडान सायरोटुक को कैद कर अमानवीय हालात में रखे जाने की हम कड़ी निंदा करते हैं। कॉमरेड बोगडान के ख़िलाफ़ लगाए गए इस फर्जी मामले को तुरंत वापस लिया जाए।" - धनेश, रनॉल्ट-निसान फ़ैक्ट्री वर्कर, चेन्नई
गुरुवार, 13 जून को सोशलिस्ट इक्वालिटी पार्टी और वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट के अंतरराष्ट्रीय संपादकीय बोर्ड की ओर से यह चिट्ठी वॉशिंगटन डीसी में यूक्रेन के राजदूत ओक्साना मारकारोवा को सौंपी जाएगी।
चुनावों ने यह रेखांकित किया है कि मोदी सरकार, अजेय शक्ति होने की बजाय एक भयंकर संकट वाला शासन है जो एक राजनीतिक और सामाजिक ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठी है।
"ग़ज़ा की जनता के साथ जो इसराइल कर रहा है वो स्पष्ट रूप से जनसंहार और युद्ध अपराध है। नेतन्याहू प्रशासन ने मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन किया है।"- बांग्लादेशी छात्र।
अपनी सदस्यता बढ़ाने, सामाजिक बराबरी के लिए अंतरराष्ट्रीय युवाओं एवं छात्रों की लामबंदी करने और वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट के लिए अपने राजनीतिक विश्लेषणों में विस्तार करने और तमिल एवं सिंहली में मार्क्सवादी साहित्य के अपने प्रकाशन के लिए एसईपी ने एक महात्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की है।
2022-23 में भारत की 1% आबादी की जेब में कुल राष्ट्रीय कमाई का 22.6 प्रतिशत गया और कुल राष्ट्रीय दौलत के 40.1 प्रतिशत हिस्से पर उनका कब्ज़ा था।
मज़दूरों के संघर्ष को रोकने और उन्हें पूंजीवादी पार्टियों का ग़ुलाम बनाने की ट्रेड यूनियन नेताओं की कोशिशों को हर क़ीमत पर ख़ारिज़ करना होगा। मज़दूर अपनी औद्योगिक और राजनीतिक ताक़त को सिर्फ तभी लामबंद कर सकते हैं जब वे पूंजीवादी पार्टियों और ट्रेड यूनियनों से अलग स्वतंत्र रूप से संगठित हों।
भारत में शुक्रवार को 100 लोकसभा क्षेत्रों में पहले चरण का मतदान होगा। सात चरणों में हो रहा आम चुनाव एक जून को सम्पन्न होगा।
राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ़ तिकड़मी और फ़र्ज़ी आरोपों का इस्तेमाल करने के लिए मोदी सरकार कुख्यात है. लेकिन 2024 का चुनाव क़रीब आते ही, अपने बुर्जुआ विरोधियों पर हमले, सामाजिक विरोध का दमन और सांप्रदायिकता भड़काने के लिए अपने पास मौजूद सभी संस्थाओं का हर तरह से इस्तेमाल करने में मोदी सरकार और बेहयाई पर उतर गई है.
विश्व बैंक के इशारे पर किए गए आर्थिक सुधारों ने, श्रीलंकाई सरकारी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का निजीकरण करने और बड़े पैमाने पर नौकरियों को ख़त्म करने के साथ कड़ी मेहनत से होने वाली कमाई और काम के हालात पर और तीखा हमला बोला है.
लगातार चीन विरोधी आक्रामकता को बढ़ाते हुए भारत, बीजिंग को चौतरफा घेरने के लिए वॉशिंगटन के पालतू कुत्ते जैसा व्यवहार कर रहा है.
कुछ चंद अरबपतियों के हाथ में जमा हुई अकूत दौलत का ख़ात्मा होना चाहिए और इन पैसों का इस्तेमाल करोड़ों भारतीय मज़दूरों और ग़रीबों की दयनीय जीवन स्थियों को सुधारने में किया जाना चाहिए.
एक तरफ़ श्रीलंकाई सरकार ने एक भारतीय पनडुब्बी का स्वागत किया है और चीन के रिसर्च जहाज को अपने यहां आने से मना कर दिया है, वहीं मालदीव प्रशासन ने चीनी पोतों के लिए अपने बंदरगाहों को खोल दिया है.
नेल्ली जनसंहार में भारत की मौजूदा सत्तारूढ़ हिंदू बर्चवस्ववादी बीजेपी ने बड़ी भूमिका निभाई थी. बांग्लादेश से आए बेहद ग़रीब विस्थापित शरणार्थियों के ख़िलाफ़ "अवैध विदेशी" के नाम पर बड़े पैमाने पर सामप्रदायिक भड़काऊ अभियान के कारण यह जनसंहार हुआ था.
यह घोषणा भारतीय मज़दूरों के अंदर इसराइली जनसंहार के ख़िलाफ़ गहरे गुस्से का संकेत है. क्योंकि इसराइल अमेरिका के दिए हथियारों और वॉशिंगटन के पूर्ण राजनीतिक समर्थन से हज़ारों फ़लस्तीनियों पर कहर ढा रहा है.
मोदी सरकार ने हज़ारों पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों को तैनात कर, कंक्रीट के बड़े बड़े ब्लॉक और कंटीले तारों से कई स्तरों वाले बैरिकेड खड़े कर, इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर प्रतिबंध लगाकर और ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराकर एक तरह से किसानों के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा कर दी है.
पीटीआई के उम्मीदवारों के स्वतंत्र रूप से खड़ा होने के बावजूद, पार्टी के जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अधिकांश सीटें जीतीं.
किसानों के ख़िलाफ़ दमन के लिए सरकार दसियों हज़ार पुलिस और अर्द्धसैनिक बल लगाने के अलावा राज्यों की सीमाओं पर कई स्तर की नाकेबंदी खड़ा करने और किसानों पर ड्रोन से आंसू गैस गोले बरसाने के हथकंडे इस्तेमाल कर रही है.
बीते रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने कांग्रेस पार्टी नीत इंडिया गठबंधन ब्लॉक को चकमा दिया और उसी दिन हिंदू बर्चस्ववादी बीजेपी नीत एनडीए के साथ फिर से गठबंधन कर लिया.
ग़ज़ा पर जनसंहारक हमले को बढ़ाने वाले इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और उनकी धुर दक्षिणपंथी सरकार और उसकी यूक्रेन में रूस के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने वाले स्टेपान बांडेरा के फासीवादी गुर्गों के साथ साठगांठ का खुल कर समर्थन करने के लिए साम्राज्यवादी शक्तियां हिंदू बर्चस्ववादी और जनसंहारक मोदी को गले लगा रही हैं.
विपक्षी गठबंधन के सबसे उत्साही घटक स्टालिनवादी पार्टियां हैं, जो इसके मक़सद को पूरा समर्थन दे रहे रही हैं. यह मक़सद है, भारतीय बुर्जुआज़ी को एक वैकल्पिक, दक्षिण पंथी सरकार का विकल्प देना.
सोमवार का उद्घाटन समारोह सिर्फ धार्मिक जुमलेबाज़ी और सांप्रदायिक प्रतिक्रिया से कहीं अलग है. यह भारत को हिंदू राष्ट्र या राज्य में बदलने की फ़ासीवादी परियोजना को साकार करने के लिए एक ऐतिहासिक अपराध का महिमामंडन है.
पिछले महीने सरकारी सशस्त्र बलों द्वारा 24 साल के बालाच मोला बख़्श की ग़ैर न्यायिक हत्या के ख़िलाफ़ लोगों का फिर से गुस्सा फूट पड़ा है.
भारतीय सत्ता तंत्र में दशकों तक अपनी 'वामपंथी' पक्ष की भूमिका के चलते भारतीय स्टालिनवादी, पूंजीवादी राजनीति और महाशक्तियों के कूटनीतिक प्रतिक्रियावादी खांचे के अंदर ग़ज़ा में ग़रीब फ़लस्तीनियों के जनसंहार के ख़िलाफ़ मज़दूरों और नौजवानों के विरोध को बांधने की कोशिश कर रहे हैं.
एसईपी ने श्रीलंका और अंतरारष्ट्रीय स्तर पर कार्यकर्ताओं, नौजवानों और छात्रों से अपील की है कि वो राजनीतिक गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से जारी रखने के इसके लोकतांत्रिक अधिकार की रक्षा करें.
भारत की अमेरिका की ओर झुकी हुई, हिंदू श्रेष्ठतावादी सरकार ने भारत के कब्ज़े वाले कश्मीर में चौतरफा घिरे और बमबारी का सामना कर रहे गज़ा के फ़लस्तीनी लोगों के समर्थन की सभी अभिव्यक्तियों पर पाबंदी लगा रखी है और वहां पांच लाख भारतीय सेना दशकों से चल रहे बर्बर दमन को जारी रखे हुए है.
अभिव्यक्ति की आज़ादी पर यह शर्मनाक हमला, बुनियादी लोकतांत्रिक अधिकारों पर मोदी सरकार के लगातार बढ़ते हमले और नॉन-स्टाप हिंदू साम्प्रदायिक उकसावेबाज़ी अभियान का हिस्सा है.
हर देश में मज़दूर वर्ग द्वारा हड़तालें और प्रदर्शन की अन्य कार्यवाहियों के लिए डब्ल्यूएसडब्ल्यूएस का आह्वान. शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन आयोजित करने और कॉलेज और हाईस्कूल छात्रों की ओर से तात्कालिक एकजुटता प्रदर्शन का हम आह्वान करते हैं.
फासीवादी सरकार के एक और कदम के रूप में भारत सरकार वामपंथी समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक को धमकाने और चुप कराने के लिए बुनियादी मानवाधिकारों को कुचल रही है.
16 जून की शाम को लियोन ट्रॉटस्की के नाती एस्टेबैन वोल्कोव के देहांत पर चौथे इंटरनेशनल की इंटरनेशनल कमेटी भारी दुख जताती है. वो 97 साल के थे.
यूक्रेन में युद्ध को भरपूर हवा देते हुए, अमेरिकी साम्राज्यवाद चीन के साथ हिंसक टकराव के लिए कमर कस रहा है. क्योंकि चीन को उसने अपना प्रमुख रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी घोषित कर रखा है.
रूस के ख़िलाफ़ अमेरिका की अगुवाई वाले सैन्य गठबंधन के तेजी से फैल रहे युद्ध में लिथुआनिया के विलनियस में 11-12 जुलाई को नेटो की बैठक आग में और घी डालेगी.
इस ताजपोशी को ऐसे समय राष्ट्रीय एकता की अपील के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है जब सामाजिक तनाव और वर्गीय टकराव बढ़ रहा है और यूरोप की धरती पर पहले से ही जंग छिड़ चुकी है।
उत्तर प्रदेश के भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा फासीवादी ‘क़ानून-व्यवस्था’ का अभियान, असल में बीजेपी के राजनीतिक विरोधियों और ग़रीब मुस्लिम अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ सरकारी अपराध को जायज ठहराने की कोशिश है.
इंटरनेशनल कमेटी ऑफ़ फ़ोर्थ इंटरनेशनल, इंटरनेशनल वर्कर्स अलायंस ऑफ़ रैंक एंड फ़ाइल कमेटीज़, इंटरनेशनल यूथ एंड स्टूडेंट्स फ़ॉर सोशल इक्वालिटी और वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट मिलकर मई दिवस 2023 को मानने के लिए 30 अप्रैल, रविवार को एक ऑनलाइन वैश्विक रैली आयोजित करेंगे.
गां धी का नि ष्का सन, असल में सत्ता रूढ़ कट्टर दक्षि णपंथी बी जेपीजे पी द्वा रा उन्हें बदना म करने और चुप करा ने के लि ए हफ़्तों तक चला ए गए दुष् दु प्रचा र अभि या न का नती जा था क्यों कि उन्हों ने अरबपति अडा नी और संकसं ट से जूझजू रहे उनके का रपो रेट सा म्रा ज्य के बी च मो दी के रि श्ते पर सवा ल उठा या था .
कांट्रैक्ट वार्ता की अहम बातें वर्करों से छिपाए रखने के बाद, यूनियन पदाधिकारी अब समझौते पर वोटिंग के लिए हमारे बीच भगदड़ पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. ये वैसा ही कुछ है जैसा उन्होंने पहले भी और 2017 में भी किया था.
रंक से राजा बने अरबपति गौतम अडानी के साथ मोदी के दशकों पुराने संबंध रहे हैं. मई 2014 में जबसे बीजेपी केंद्र की सत्ता में आई है अडानी की दौलत ने दिन दूना रात चौगुना बढ़ने की कहावत को भी झुठला दिया है.
भारत की हिंदू श्रेष्ठतावादी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री पर कड़ा विरोध जताया है जिसमें 2002 के गुजरात मुस्लिम विरोधी नरसंहार में बलवाईयों की मदद और हिंसा को नज़रअंदाज़ करने की प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका की पड़ताल की गई है.
भारत के चेन्नई के बाहरी औद्योगिक इलाके में स्थित दुनिया की अग्रणी कार निर्माता कंपनी के असेम्बली प्लांट में अभी नई बनी रेनॉल्ट-निसान ऑटो वर्कर्स रैंक एंड फ़ाइल कमेटी की ओर से जारी किया गया बयान.
महाराष्ट्र परिवहन विभाग के 75,000 से अधिक कर्मचारी सरकारी धमकी, प्रबंधन की बदले की कार्रवाई और अपने कथित यूनियन प्रतिनिधियों को नजरअंदाज कर करीब तीन महीने लंबी हड़ताल को जारी रखे हुए हैं।
मैरीलैंड, ओहियो और पेनसिल्वेनिया के सभी शिक्षकों की तरफ से, हम भारतीय मारुति सुजुकी के कर्मचारी जियालाल की मृत्यु की घटना की निंदा करते हैं और फंसाए गए शेष 11 श्रमिकों को रिहा कराने के संघर्ष में अपना समर्थन देने का वचन देते हैं।
भारत में, संयुक्त राज्य अमेरिका में और पूरी दुनिया के स्तर पर अपने अधिकारों के लिए संघर्षों की शुरुआत करने वाले श्रमिकों को मारुति सुजुकी के श्रमिकों के खिलाफ क्रूर कानूनी प्रतिशोध के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और जेल में बंद 11 लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों को दोगुना कर देना चाहिए।
मेमोरियल डे पर पुलिस द्वारा जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या ने पूरे अमरीका में व्यापक प्रदर्शनों को बढ़ावा दिया जिसने सभी जातियों के श्रमिकों को एकीकृत किया और विश्व भर ने इसमेन भागेदारी की।
बैंगलोर से पचास किलोमीटर दूर बिदाड़ी में दो टोयोटा किर्लोस्कर मोटर प्राइवेट लिमिटेड प्लांट्स के तीन हज़ार कर्मचारी कर्नाटक सरकार के काम पर लौटने संबंधी आदेश की अवहेलना करते हुए बुधवार को भी हड़ताल पर हैं I हड़ताल तोड़ने के उद्देश्य से पिछले करीब एक महीने से से कर्मचारियों को प्लांट के बाहर रखा गया है I इस हड़ताल की शुरुआत के एक दिन पहले (नवंबर ९),एक यूनियन लीडर को निलंबित किया गया I
26 अगस्त को सिंगापुर की नान्यांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में डॉक्टर जोसेफ स्कैलिस ने एक भाषण दी, जिसमें उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ फिलीपींस (सीपीपी) और उसकी राजनीतिक विचारधारा से समरूपता रखने वाले अन्य संगठनों एवं दलों द्वारा 2016 के चुनाव में फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो ड्यूटर्ट का समर्थन किए जाने पर बात की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने 12 दिसंबर को संसद में ज़बस्दस्ती मुस्लिम विरोधी संवैधानिक संशोधन अधिनियम (CAA) को निकसित किआ जिस कारण विरोध प्रदर्शनों की बढ़ती लहर ने भारत को आक्षेपित कर दिआ है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 के खिलाफ पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं I CAA को पिछले हफ्ते सत्तारूढ़ हिंदू सुप्रीमो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संसद में सिर्फ चार दिनों के अंदर हड़बड़ी में उत्तीर्ण किया था।
पिछले सोमवार(5 अगस्त) परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों भारत व पाकिस्तान के बीच 70 साल पुरानी सैन्य-रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता का केंद्र रहे तथा भारत द्वारा नियंत्रित कश्मीर क्षेत्र के भूभाग से भारतीय हिंदूवादी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर (J& K)की‘अर्द्ध’-स्वायत्तस्थिति को अवैध रूप से समाप्त कर दिया गया।
जूलियन असांज को मुक्त करने के लिए चल रहे अंतरराष्ट्रीय अभियान के हिस्से के रूप में, भारत में ट्रॉट्स्कीवादीयों ने सितंबर में चेन्नई और कोलकाता में रैलियां करेंगे, क्रमशः तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की राजधानियों में भी रैलियां करेंगे। फोर्थ इंटरनेशनल की अंतर्राष्ट्रीय समिति का भारतीय समर्थक समूह दोनों घटनाओं का आयोजन कर रहा है।
विश्व समाजवादी वेब-साइट और समाजवादी समानता दल, जो फोर्थ इंटरनेशनल के अंतर्राष्ट्रीय समिति से संबद्धयुक्त है, एक सार्वत्रिक आंदोलन के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय आह्वान कर रहे है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज के प्रत्यर्पण को रोकने और व्हिसलब्लोअर चेल्सी मैनिंग की स्वतंत्रता सुरक्षित करने के लिए है।
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पहली बार भारत द्वारा मंगलवार सुबह पाकिस्तान सीमा के अंदर एक हवाई हमले को अंजाम दिया गया। इस हमले ने दक्षिण एशिया के चिर-प्रतिद्वंद्वी व परमाणु-शक्ति सम्पन्न देशों के बीच तनाव को उबाल दिया है।
वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट भाजपा सरकार से टक्कर लेने के लिए श्रमिकों द्वारा किसी भी जोखिम जैसे वित्तीय बलिदान और यहां तक कि गोलीबारी का सामना करने को भी तैयार रहने के दृढ़ निश्चय का स्वागत करती है।
वर्ल्ड सोशलिस्ट वेब साइट के अंतर्राष्ट्रीय संपादकीय बोर्ड की ओर से समाजवादी, युद्ध-विरोधी, वाम-पक्ष व प्रगतिशील वेबसाइटों, संगठनों व कार्यकर्ताओं को एक खुला पत्र
सोशिलिस्ट ईक्वालिटी पार्टी और चौथा अंतरराष्ट्रीया विश्व कमिटी का श्री लंकाई खंड मार्च 18को एक भारतीय अदालत द्वारा मारूति सुज़ुकी के मज़दूरों के खिलाफ दी गयी सज़ा — 13 मज़दूरों को उम्रकैद और 18 को तीन से पाँच साल की क़ैद — का सख़्त विरोध करता है.